महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की उत्कृष्ट ज्ञान-पिपासा कभी तृप्त न हुई,
किन्तु जीविका के लिए इन्होंने रेलवे में नौकरी कर ली। कुछ दिनों तक नागपुर और अजमेर
में कार्य करने के बाद यह पुन: बम्बई लौट आए। यहाँ पर इन्होंने तार देने
की विधि सीखी और रेलवे में सिगनलर हो गए। रेलवे में विभिन्न पदों पर कार्य
करने के बाद अन्तत: यह झाँसी में डिस्ट्रिक्ट सुपरिण्टेण्डेण्ट के ऑफ़िस में चीफ़ क्लर्क हो गए।
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